बेटों बहुओं की करतूतों से तंग आकर बुजुर्ग पिता ने DM साहब को दान में दी अपनी दो करोड़ की संपत्ति।

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अक्सर हम अपने

आस-पास और खबरों में देखते रहते है जहाँ परिवार के बुजुर्ग को उतनी इज्जत नहीं मिल पाती जितनी मिलनी चाहिए। कई बार ऐसी वीडियोस सोशल मीडिया पर आती है जहाँ पर बुजुर्ग को घर से निकाल दिया जाता है फिर उनका अपमान भी करते है। कई बार गुस्सा आता है और मन में यही सवाल आता है की अगर औलाद ऐसी होती है तो भगवान किसी को न दे इसके साथ कई सवाल मन में घूमते रहते है। अब एक वैसा ही वाकया सामने आया है जहाँ एक बुजुर्ग को बेटों ने सहारा नहीं दिया तो उन्होंने अपने हिस्से की संपत्ति आगरा डीएम के नाम कर दी।

दरअसल ये मामला

आगरा का है जहाँ गणेश शंकर नगर में रावत पाड़ा चौराहे पर तम्बाकू की दुकान है।उनका ये काम बेहद पुराना है,ये शहर का सबसे बड़ा थोक बाजार है और यहां दुकान की कीमत भी एक करोड़ रुपए है। गणेश शंकर कहते हैं कि उनके बेटे पागल नहीं है। पर पता नहीं किस दिमाग के हैं। वे मेरे लिए कुछ नहीं करते। मैं तो भाइयों के साथ ही रहता हूं।जानकारी के लिए बता दे उनके दो बेटे हैं, जो घर में रहते हुए भी उनका ध्यान नहीं रखते हैं। उनको दो वक्त के भोजन के लिए भाइयों पर आश्रित होना पड़ रहा है।

उनके दो बेटे होने के

बावजूद कोई भी उनका ध्यान नहीं रखता और न ही उन्हें पूछता है उन्हें दो वक्त के भोजन के लिए भाइयों पर आश्रित होना पड़ रहा है। समझाने पर बेटों ने उनसे नाता तोड़ दिया। इस बात से खफा होकर उन्होंने अपनी सारी संपत्ति डीएम आगरा के नाम कर दी। वर्तमान में वो अपने भाइयों के साथ रह रहे हैं और एक ही घर में होते हुए बेटों से दूर हैं।उनके बेटे उन्हें भोज समझते है।बुजुर्ग गणेश शंकर ने अगस्त 2018 में डीएम आगरा के नाम मकान की वसीयत कर दी थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक

बुजुर्ग गणेश शंकर ने अगस्त 2018 में डीएम आगरा के नाम मकान की वसीयत कर दी थी। अब कलेक्ट्रेट जाकर जनता दर्शन में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान को रजिस्टर्ड वसीयत सौंपी है। सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान ने बताया कि उन्हें वसीयत प्राप्त हुई है। जो जगह उन्होंने डीएम आगरा के नाम की है, उसकी करोड़ों की कीमत है। वसीयत की एक प्रति उनके भाइयों के पास भी है और भाइयों को इस बात से कोई ऐतराज नहीं है।वह भी चाहते है की बुजुर्ग जैसा चाहते है बस वैसा ही करे।