आज के दौर में
भी जब भी कोई शादी होती है तो कई ज़िले ऐसे है जहां लड़की वालों से दहेज़ की मांग की जाती है , सामाज में आज कल सभी पढ़े लिखे हो गए है इसलिए वो दहेज़ प्रथा जैसी चीज़ो को नहीं मानते पर राजस्थान के एक छोटे से गांव के बुज़ुर्ग ने अपने बेटे की शादी में दहेज़ ना लेकर एक बहुत बड़ी मिसाल कायम कर दी है जिसके बाद से पुरे ज़िले में उनकी काफी तारीफ़ हो रही है |
ये मिसाल राजस्थान
के पिपरवाला गांव में रहने वाले एक रिटायर्ड प्रधानाध्यापक ब्रजमोहन मीणा ने पेश की है , जब उनके पुत्र की सगाई हुई तो लड़की वालो की तरफ से उनको दहेज़ में एक बहुत बड़ी राशि दी गयी जिसे उन्होंने उसी समय लौटा दिया , लड़की वालो को लगा की उन्हें और ज़्यादा धन राशि चाहिए इसलिए उन्होंने ये राशि लौटा दी है पर बाद में उन्हें पूरी बात पता चली तो वो भी भावुक हो गए |
ब्रजमोहन मीणा जी
ने अपने बेटे रामधन मीणा की शादी टोंक की लड़की आरती के साथ तय की थी , दोनों की हिन्दू रीति-रिवाज़ो के अनुसार सगाई करवाई जा रही थी तभी लड़की वालों ने दहेज़ के तोर पर ब्रजमोहन जी को 11 लाख 101 रूपये नकद दहेज़ में दे दिए पर दूल्हे के पिता बृजमोहन जी ने उन रुपयों को तुरंत लौटा दिया और सिर्फ 101 रूपये शगुन के तौर पर स्वीकार किये |
जब लड़की के घरवालों
को ये पता चला की उन्होंने राशि लौटा दी है तो उन्हें लगा की शायद लड़के वालों को और भी बड़ी रकम चाहिए इसलिए वो ये नकद लौटा रहे है पर दूल्हे के पिता ने उनसे कहा की हमारे घर में ना दहेज़ लिया जाता है और ना ही दिया जाता है इसलिए वो सिर्फ 101 रूपये का शगुन स्वीकार कर रहे है | उन्होंने पुरे गांव में एक बड़ी मिसाल पेश कर दी है और ज़िले में सब लोग उनकी तारीफ़ कर रहे है |